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Tuesday 15 August 2017

एक गलत फैसला "प्रवाह" के साथ बहने का

एक बार एक नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी।
एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा।
यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया।
उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली।
वह सोचने लगा, अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है, यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?
कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा।
भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता।
अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह भाव विभोर होता रहा।
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली।
वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ।
सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई।
चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झूठा रौब फैलाता रहा, किंतु महासागर का ओर-छोर उसे कहीं नजर नहीं आया। आखिरकार थककर, दुख से कातर होकर वह सागर की उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया। एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।
शारीरिक सुख में लिप्त उन सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भी गति उसी कौए की तरह होने वाली है, जो  आरक्षण का लाभ लेकर बाबा साहेब को भूल गए है तथा अपने को हिन्दु की नानी समझ रहे हैं बिना पूजा पाठ किये पानी नही पियेंगे। सभी हिन्दु देवी देवताओं जिसे पुजने हेतु बाबा साहेब ने मना किया था उसकी पूजा   करेगे। चारो धाम की यात्रा करेगे। किसी गरीब के बच्चे की पढ़ाई लिखाई  शादी व्याह में  कोई मदद नही करेंगे।
ऐसे लोगो की आने वाली पीढ़ी की दुर्गति होने वाली है फिर भी इन्हें समझ मे नही आ रहा है ।

जीत किसके लिए, हार किसके लिए
ज़िंदगीभर ये तकरार किसके लिए..
जो भी पाया है आरक्षण में वो चला जायेगा एक दिन
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए।
आओ इन 24 घंटो में से एक घंटा समाज के लिए दे।बहुजनो के अच्छे भविष्य के लिए...जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय

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