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Tuesday 15 August 2017

नास्तिक

एक रोज एक नास्तिक के सपने में भगवान आया और नास्तिक से  कहा माँग जो माँगना है, मैं तुझको देना चाहता हूँ ।
 नास्तिक ने कहा तू मुझको कुछ नही दे सकता ।
उसने कहा क्यों ? दुनिया तो मुझसे माँगती है ।
 नास्तिक ने कहा  दुनिया तुझसे माँगती है तो फिर तू दुनिया से क्यों माँगता है ?
भगवान ने कहा मैंने किसी से कब माँगा है ?
नास्तिक ने कहा किसी से तू भोजन माँगता है, किसी से दूध माँगता है । किसी से घी माँगता है किसी से तेल माँगता है । किसी से वस्त्र माँगता है तो किसी से आभूषण माँगता है ।
उसने कहा ये कौन कहता है कि मैं माँगता हूँ ? क्या किसी ने कभी मुझको माँगते हुए देखा है ?
नास्तिक ने  कहा ऐसा तेरे भक्त ही कहते हैं । तेरे पुजारी कहते हैं । तेरे एजेंट कहते हैं ।
उसने कहा मैंने तो उनसे नहीं कहा ।
नास्तिक ने कहा अगर तूने नही कहा तो फिर तू उनको रोकता क्यों नही ? क्या तू उनको रोक सकता है ?
अब भगवान चुप और सन्नाटा ।
नास्तिक ने कहा तू नही रोक सकता क्योंकि तू ही उनकी उपज है । उन्होंने तुझको बनाया है । लोगो के मन में तेरा भय पैदा कर । तेरी उत्पत्ति ही भय से हुई है । जिस दिन भय ख़त्म हो जायेगा । तू भी उसी दिन ख़त्म हो जायेगा । नास्तिक ने कहा तू किसी को क्या दे सकता है ? तू तो खुद कर्ज में डूबा है ।
उसने कहा मैंने किससे कर्ज लिया है ?
नास्तिक ने कहा जिन्होंने तुझको दिया है, क्या तूने उनको कभी वापिस दिया है ? नहीं ना ? तो फिर तू उनका कर्जदार कैसे नही है ? जो लेकर नही देता उसको बेईमान कहते हैं, ठग और धोखेबाज कहते हैं ।
और भगवान रेत के ढेर की तरह भरभरा कर गिर पड़ा । अब वहाँ कुछ शेष नही था क्योंकि भगवान का डर ख़त्म हो चुका था |

अंधविस्वास से नाता तोड़ो और ज्ञान विज्ञान से नाता जोड़ो।.

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