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Thursday 24 August 2017

हिन्दू धर्म की मूर्खताएं


1- सती प्रथा सिर्फ़ हिन्दू धर्म में ही पायी जाती थी ।

मृतक के बच्चे चाहे भीख माँगे या कोठे पर पलें, परन्तु विधवा पत्नी को पति के साथ ही जलना होता था I

2- जन्म से छोटा या बड़ा,  हिंदू धर्म मे शुरू से ही तय हो जाता था ।

बाबा साहेब आंबेडकर तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू से चार गुना ज्यादा योग्य और महान थे, लेकिन कुछ नालायक मनुवादियों ने मरते दम तक बाबा साहेब को सम्मान नही दिया ।

3- लोग पढ़ेंगे या नाली साफ करेंगे, यह बात भी हिन्दू धर्म में जन्म से ही तय हो जाती थी ।

4- कोई इंसान इज़्ज़तदार  बनेगा या गालियाँ सुनने की मशीन बनेगा,  यह बात भी हिन्दू धर्म जन्म से ही तय करता रहा है I

5- लोग कौन सा काम करेंगे और  कौन सा नही करेंगे,  यह बात भी हिंदू धर्म जन्म से तय कर देता था I

6-  ज्यादातर ब्राह्मणों के तो मज़े ही मज़े थे, क्योंकि उनके लिए तो जन्म से ही सुख, सम्मान और सुविधाओं के रास्ते खुल जाते थे ।

कुछ ब्राह्मण तो  चार छः श्लोक और चार छः  कथाएँ सुनाकर पूरी जिंदगी भर खाते रहते थे, उन्हें ज्यादा मेहनत करने की कोई जरूरत ही नही पड़ती थी ।

और जो भी आदमी ब्राह्मणवाद का विरोध करता था, कटटर ब्राह्मण उसे अपनी साजिशों से बर्बाद कर देते थे ।

7- गरीबों की कन्याओं को मंदिर मे देवदासी बनाकर उनका यौन शोषण करने की मूर्खतापूर्ण परम्परा भी हिन्दू धर्म में ही पायी जाती थी ।

दहेज जैसा मूर्खतापूर्ण कार्य हिन्दू धर्म मे बड़ी सादगी से होता रहा है I

8- हिन्दू धर्म में एक तरफ महिला की मूर्ति बनाकर पूजते हैं, दूसरी तरफ भारत में पिछले 10 साल मे करोड़ों कन्याओं की भ्रूण हत्या कर दी गयी है, मनुस्मृति ने तो महिलाओं की गरिमा को खत्म कर दिया है ।

9- जातिप्रथा हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी मूर्खतापूर्ण खोज है, जाति मरते दम तक इंसान का पीछा नही छोड़ती ।

बाबा साहेब आंबेडकर, कांशीराम साहेब, और मायावती जी जैसे नेता पूरी जिंदगी जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ते रहे हैं,  लेकिन कटटर मनुवादी किसी ना किसी रूप में जाति व्यवस्था को बचा ही लेते हैं ।

10- बाल विवाह तो हिंदुओं की शान रही हैं I

11- अक्सर अमीरी-ग़रीबी भी हिन्दू धर्म में जाति के अनुसार ही तय होती रही  है ।

ज्यादातर कटटर मनुवादी इस बात को बर्दाश्त ही नही कर पाते कि SC और ST समाज के लोग अमीर बनकर सुख, सम्मान और शान से जी सकें ।

अगर SC या ST समाज का कोई अफसर या नेता थोड़ा अमीर होने लगता है, तो कटटर हिंदुओं की आँखों में वो काफी ज्यादा खटकता रहता है ।

कुछ कटटर हिन्दूओं को तब तक शान्ति नही मिलती, जब तक वो SC और ST अफसरों और नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों फंसा नही देते ।

12- ज़मींदार भी यहाँ जाति के आधार पर होते रहे हैं ।

SC और ST समाज के किसान कहीं जमींदार ना बन जाएँ, इसीलिए उनकी जमीनें छीन ली जाती थीं ।

13- हिन्दू धर्म के ठेकेदारों ने कोई महान खोज नही कीं ।

जितनी भी खोजें कीं, उनमे से ज्यादातर खोजें मूर्खतापूर्ण ही थीं,   जिनका कोई उपयोग समाज के लिए नहीं किया जा सकता ।

14- जिस तरह से SC और ST समाज के लोगों को पढ़ने से रोका गया,   वैसा कमीनापन किसी और धर्म में नही पाया गया है ।

15- नीची जाति की महिलाओं का बलात्कार करने  को कुछ लोग अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानते रहे ।

और नीची जाति के लोग जब विरोध करते थे, तो उन्हें उलटा लटकवाने की मूर्खतापूर्ण परम्परा भी हिन्दू धर्म में रही है ।

लेकिन फूलन देवी जैसी बहादुर महिला ने अपने साथ हुए जुल्म का सही बदला लेकर साबित कर दिया कि SC, ST और OBC समाज के लोग हालात के शिकार तो हैं, लेकिन किसी के सामने झुकने को तैयार नही हैं ।

16- कुछ हरामखोरों ने तो दलितों को कभी स्कूलों मे घुसने ही नही दिया,  क्या कोई और धर्म ऐसा कर सकता हैं?

17- जिन मंदिरों में कुत्ते और बिल्ली भी घुस जाते थे, उन मंदिरों से SC और ST समाज के लोगों को गालियाँ देकर भगा दिया जाता था ।

लेकिन SC और ST समाज के करोड़ों जागरूक लोगों ने हिन्दू धर्म को ठुकराकर मन्दिरों को भी टाटा बाय बाय कर दिया, हमेशा हमेशा के लिए ।

बहुत कुछ है हिन्दू धर्म की मूर्खताओं की धज्जिया उड़ाने को, लेकिन अभी सिर्फ  इतना ही काफी है ।

हिंदू धर्म बर्बाद हुआ, क्योंकि यहाँ:---
--बच्चा हो, तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–नाम रखो,  तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–गृह प्रवेश करो, तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–पाठ करवाओ,  तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–कथा करवाओ, तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–मंदिर जाओ, तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–शादी हो,  तो ब्राह्मण को पैसे खिलाओ I
–कोई मर गया हो,  तो भी ब्राह्मण को पैसे खिलाओ!!

दरअसल ब्राह्मणों ने खुद ही हिन्दू धर्म को तमाशा बना दिया है ।

ब्राह्मणों ने हज़ारों साल तक sc/st/obc के पूर्वजो को खूब गालियाँ
सुनवाई है लेकिन आजकल खुद भी हर जगह गालिया ही सुन रहे हैं
अगर आपको विश्वास न हो तो बसपा ,बामसेफ ,आरपीआई के कार्यक्रमों
मेंमें जाकर देख लीजिये ।
इसके बावजूद कुछ ब्राह्मण तो अभी भी जाति व्यवस्था को सही साबित करने  की कोशिश करते हैं
रही सही कसर पाखंडी बाबाओ ने पूरी कर दी है।
पाखंडी बाबाओ ने धर्म के नाम पर काफी लूट खसोट मचा रखी है

निर्मल बाबा
सुधांशु बाबा
इच्छाधारी बाबा
कच्छाधारी बाबा
और भी सारे पाखंडी बाबाओं ने धर्म के नाम पर यापमी दुकान खोलकर
लूट मचा रखी है
ज्यदातर पाखंडी बाबा दूसरे लोगों को तो माया मोह से दूर रहने के उपदेश
देते रहते हैं लेकिन खुद अय्यासी करते रहते हैं।
दरअसल हिन्दू धर्म पूरी तरह से नौटंकी के सिवा कुछ भी नहीं है ।
क्योकि rss सिफ धर्मान्तरण पर बोलता है लेकिन हिन्दू धर्म में घुसी
हुई जाति व्यवस्था, नफरत ,हरामखोरी और पाखंड पर कुछ नहीं बोलता
रामराज में हिन्दू धर्म की नैया में सवार होकर लूट मचने वाले पाखंडी
बाबा ही सबसे ज्यादा मजे में हैं वैसे हिन्दू धर्म में सुधार होना ही मुश्किल है ।

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Wednesday 23 August 2017

फर्जी स्वतंत्रता

1947 को मिली हुई आज़ादी सभी लोगों कि ना होकर केवल सत्ता का हस्तांतरण है। याने अंग्रेजों ने भारत के लोगो को सत्ता सौंप दी। इसलिए ये हमारे आज़ादी का दिन नहीं है।
भारत में रहनेवाला बहुजन समाज आज भी गुलाम है। क्योंकी आज़ादी का मतलब अपने भविष्य का फैसला करने का, खुद निर्णय लेना माने आज़ादी। आज जिन लोगो के लिए ये आज़ादी है उन आज़ाद लोगों को अपले भविष्य का निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। उनके भविष्य का निर्णय सरकार ले रही है। अगर आज़ादी का मतलब अपने भविष्य का फैसला करने का निर्णय लेना इस बात को थोडी देर के लिए सच माने तो सही में बहुजन समाज के लोगो को अपने निर्णय लेने का अधिकार है क्या? ऐसा सवाल खडा होता है।

   ब्राम्हणो के तथाकथित आज़ादी के आंदोलन में बहुजन समाज के महापुरुष सामील नहीं थे। इसलिए भी कहा जा सकता है की ये बहुजन के आजादी का आंदोलन नहीं था। क्योंकी ये आजादी का आंदोलन बहुूजन समाज के लिए नहीं था केवल और केवल ब्राम्हणो के आजादी के लिए था ऐसा हमारे महापुरुषों को लगता था। इसलिए बहुजन समाज के महापुरुष इस आजादी के आंदोलन में सामील नहीं थे। अगर हमारे महापुरुष ब्राम्हणो के आजादी के आंदोलन में सामील नहीं थे तो क्या कर रहे थे? ऐसा सवाल कुछ लोग खडा कर सकते है। हमारे महापुरुष ब्राम्हणो के आजादी के आंदोलन में सामील ना होकर बहुजन समाज के आजादी का अलग से आंदोलन चला रहे ​थे। क्यों की उन्हे पता था हमे और हमारे समाज को इंग्रजो ने नहीं तो ब्राम्हणो ने, उनकी व्यवस्थाने गुलाम बनाया है। इसलिए हमारे महापुरुषों का आंदोलन इंग्रजो के गुलामी से नहीं तो ब्राम्हणो के गुलामी से मुक्त करने का था।

   तथाकथित आजादी के दुसरे दिन याने 16 अगस्त 1947 को जब पुरा देश आजादी का जल्लोष मना रहा था। ऐसे स्थिती में सत्यशोधक साहित्यरत्न अण्णाभाउ साठे ने जोर की बारीश होने के बाद भी और पोलीस प्रशासन मना करने के बाद भी मुंबई के आजाद मैदान मैदान पर एक मोर्चा निकाला था। उस मोर्चा में 60 हजार लोग सामील थे और उस मोर्चा। में नारा लगाया गया था की ये ​आजादी झुठी है, देश की जनता भूखी है। अण्णाभाउ साठे को इस मोर्चा के माध्यम से ये बताना था की हमारे लिये ये आजादी झुठी है। देश को मिली आजादी हमारे लिये नहीं है। क्यों की आज भी करोडो भूकमरी के शिकार है। याने अण्णाभाउ ने 1947 को कही हुयी बात 2017 में सच साबीत हो रही है। आज देश में बडे पैमाने पर अनाज उपलब्ध होने के बाद भी करोडो लोक भूकमरी के शिकार है। हजारो टन अनाज गोदामो में सड जाता है। हजारो टन अनाज चुहे खा जाते है मगर इस देश के मूलनिवासी लोगों को नहीं दिया जाता। इतना दूर तक अण्णाभाउ सोचते थे। इससे साबीत होता है की 1947की आजादी हमारी आजादी नहीं है तो विदेशी ब्राम्हणों की आजादी है।

   आजाद भारत के सबसे सयाने महापुरुष राष्ट्रपित जोतिराव फुले इन्हे गोखले और रानडे द्वारा आजादी के आंदोलन में सामील होने के लिए ​निमंत्रण दिया गया। इस पर राष्ट्रपिता जोतिराव फुले ने गोखले और रानडे को कहा। आज ब्राम्हण लोग हमारे समाज के साथ असमानता का व्यवहार करते हो अगर आपका इस देश पर राज आया तो आप हमारे साथ समता का बर्ताव करोगे इसकी क्या गॅरंटी? जाओ—जाओ मैं नहीं आउंगा आपके आजादी के आंदोलन में। इस पर राष्ट्रपिता जोतिराव फुले बहुजन समाज के लोगो का कहते है, जब तक अंग्रेज भारत में है तब तक आप लोगो को ब्राम्हणो की गुलामी से मुक्त होने का अवसर है। इसके लिए आप लोगो ने जल्दी करनी चाहिये। फुलेजी ने यह नहीं कहा की अंग्रजो के गुलामी गुलामी से मुक्त हो जाओ। फुले कहते है की जबतक अंग्रज है तबतक अवसर है ब्राम्हणो के गुलामी से मुक्त होने का। इसलिए आप लोगो ने जल्दबाजी करनी चाहिये। फुलेजी के कहे अनुसार यही सिद्ध होता है की तथाकथित आजादी का आंदोलन यह बहुजन समाज के आजादी का आंदोलन ना होकर ब्राम्हणो के आजादी का आंदोलन है। इसलिए फुलेजी भी ब्राम्हणो के आजादी के आंदोलन में सामील नहीं हुये। अपने समाज के लिए अलग से आजादी का आंदोलन चलाया।

   एक बार भटमान्य बाल गंगाधर तिलक छत्रपती शाहू महाराज को मिलने आये और कहने लगे की आप जैसे राजा लोग अगर आजादी के आंदोलन में सामील होते है तो देश को जल्द आजादी मिल सकती हैं इसपर छत्रपती शाहू महाराज तिलक को कहते है, तिलक आप जैसे ब्राम्हण लोग मेरे जैसे राजा लोगो का अपमान करते हो, शूद्र कहते हो अगर आपका राज आया तो यह जनता का क्या होगा? आगे शाहू महाराज तिलक को कहते है, तिलक मेरा समाज यह भेडबकरी का समाज है, मै उस समाज को लोमडी के झुंड में भेजना नहीं चाहता। इसका मतलब छत्रपती शाहू महाराज को भी लगता था की ये तथाकथित आजादी का आंदोलन ये बहुजन समाज के आजादी का
आंदोलनन नहीं था। अगर ऐसा होता तो शाहू महाराज सामील होते. शाहू महाराज इस आंदोलन में शामिल होते है  तो देश को जल्दी ही आजादी मिल सकती है इस पर बाबासाहेब अम्बेडकर ने लाला लाजपत राय को
कहा आप लोग मुझे भारत मै  पढ़ने नहीं देते। इधर आया हूँ तो कम से कम पढ़ने तो दो। भारत आने पर इस पर विचार करूँगा।
डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर भारत आने के बाद बहिष्कृत भारत  इस
अख़बार के अग्रलेख में लिखते हैं गुलामी में जिनकी बाते सहन नहीं होती
आजादी में उनकी लातें खानी होंगी आज बाबासाहेब की तब कही हुई
बाते सत्य साबित हो रही है। आज बहुजन समाज में भीषण समस्याएं
पैदा हो गई हैं अगर तथाकथित आजादी बहुजन समाज की होती
तो आजादी के 70 साल बाद भी ये समस्या पैदा न होती बल्कि इन
 समस्याओ का समाधान किया होता । बहुजन समाज आज भी ब्राह्मणवादियों की लातें खा रहा है।
आजादी  हमारे लिए एक अफवा है इसलिए दिल्ली लालकिले  से
हर साल प्रचार किया जाता है की हम आजाद हुए। जब दिल्ली के
लालकिले से प्रचार किया जाता है तब जो आजाद नहीं हुए हैं उन
लोगों को भी लगता है की हम आजाद हुए । ब्राह्मणवादियों के द्वारा
हर साल आजादी का ये प्रचार इसलिए किया जाता है ताकि जो लोग
आजाद नहीं हुए वो लोग अपनी आजादी का आंदोलन चला सकते है
ये लोग अपनी आजादी का आंदोलन न चलायें इसलिए दिल्ली के लालकिले से देश का प्रधान मंत्री हरसाल देश के लोगो को संबोधित
करता है और आजादी मिलने का दम भरता है



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Sunday 20 August 2017

नीच मनुवादी


फेसबुक ,व्हाट्सएप ,ट्विटर ...... इत्यादि सभी सोशल साइट्स पर जहा कहीं भी जाता हु ,सारे 3% विदेशी ब्राह्मणों का एक ही मकसद देखता हु ,की 85% OBC SC ST ,मुसलमानों को अपना दुश्मन मान ले ,पर जब मै 3% विदेशी ब्राह्मणों से अपने यह सवाल पूछता हु तो कोई ब्राह्मण मेरे सवाल का जवाब देने सामने नहीं आता ,
सवाल नं 1) क्या जातप्रथा (caste system) ,& वर्णप्रथा में पिछड़ी जातियों को मुसलमानों ने बाटा या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 2)क्या धर्म के नाम पर 33 करोड़ काल्पनिक देवी-देवताओं का निर्माण कर पथ्थरो की मूर्तियों के नामपर मुसलमान हमको ठग रहे है या 3% विदेशी ब्राह्मण ?
सवाल नं 3) क्या हमारे संवैधानिक ''रिजर्वेशन'' का विरोध मुसलमान कर रहे है या 3% विदेशी ब्राह्मण ?
सवाल नं 4)क्या हमारे महापुरुषों (रविदास कबीर तुकाराम फुले शाहूज महाराज बाबासाहब कांशीराम पेरियार इत्यादि )को षड्यंत्र से मारने का सफल या असफल प्रयास मुसलमानों ने किया या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 5)हमारी महान हरप्पा मोहनजोदाड़ो की सिंध सभ्यता पर हमला मुसलमानों ने किया या 3% विदेशी आर्य ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 6) mandal कमीसन को दबाने के लिए रथ यात्रा मुसलमानों ने निकाली या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 7)क्या सदियों से SC ST के लोगो के साथ अछूतपन का व्यवहार मुसलमानों ने किया या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवान नं 8) आज भारत पर न्यायपालिका कार्यपालिका मीडिया विधायिका पर मुसलमानों का कब्ज्जा है या 3% विदेशी ब्राह्मणों का ?
सवान नं 9)क्या privatisation ,globalisation के नाम पर देश को निजी उद्योगपतियों के हाथो मुसलमान बेच रहे है या 3% विदेशी ब्राह्मण ?
सवाल नं 10)क्या शुद्र कहकर शिजाजी महाराज का राज्याभिषेक मुसलमानों ने नकारा या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 11)क्या शिवाजी महाराज का राज्यतिलक बाए पैर के अंगूठे से कर उस महाप्रतापी राजा का अपमान मुसलमानों ने किया या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 12)सम्राट अशोक के पुत्र की ह्त्या मुसलमानों ने की या 3% विदेशी ब्राह्मणों ने ?
सवाल नं 13)हर गाव हर घर में पिछड़ी जातियों को आपस में लड़ाने का काम मुसलमान करते है या 3% विदेशी ब्राह्मण ?
सवाल नं 15) बौद्ध जैन सिख लिंगायत जैसे स्वतंत्र धर्मो को ब्राह्मण धर्म (हिन्दू धर्म) की शाखा कहकर प्रचारित कर उनका स्वतंत्र अस्तित्व मुसलमान ख़त्म कर रहे है की ब्राह्मण ?
सवाल तो हजारो है पर आज बस इतना ही ।
मुसलमानों ने हमारे लिए क्या किया इसकी भी जानकारी आपको देता हूँ ,
भारतीय इतिहास की कुछ शानदार घटनाये  :---
.(1) महात्मा ज्योतिबा फूले को अपना स्कूल बनाने के लिये जमीन उस्मान शेख नाम के एक मुसलमान ने दी थी ।
.(2) उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख ने सावित्री बाई फूले का साथ देकर उनके स्कूल में  पढा़ने का काम किया था ।
.(3) बाबासाहेब आंबेडकर  ने जब चावदार तालाब का आंदोलन चलाया और सभा करने के लिये बाबासाहेब को कोई हिन्दु जगह नहीं दे रहा था ।
तब  मुसलमान भाइयों ने आगे आकर अपनी जगह दी थी और बाबासाहेब से कहा था कि  " आप हमारी जगह मे अपनी सभा कर सकते हो "
.(4) गोलमेज परिषद मे जब गांधी जी ने बाबासाहेब का विरोध किया था और रात के बारह बजे गांधी जी ने मुसलमानों को बुलाकर कहा था कि आप बाबासाहेब का विरोध करो तो मैं आपकी सभी मांगे पूरी करुंगा ।
तब मुसलमान भाई आगार खांन साहब ने गांधी जी को मना कर दिया था और कहा था कि हम बाबासाहेब का विरोध किसी भी हाल मे नहीं करेंगे ।
.(5) मौलाना हसरत मोहानी ने बाबा साहब को रमजा़न के पवित्र माह में अपने घर रोजा़ इफ्तार की दावत दी थी ।
जबकि पंडित मदनमोहन मालवीय ने तो बाबा साहब को एक गिलास पानी तक नहीं दिया था ।
.(6) जब सारे हिन्दुओं (गांधी और नेहरू) ने मिलकर बाबासाहेब के लिये संविधान सभा के सारे दरवाजे और खिड़किया भी बंध कर दी थीं ।
तब पश्छिम बंगाल के मुसलमानों व चांडालों ने बाबासाहेब को वोट देकर चुनाव जिताकर संविधान सभा मे  भेजा था ।
.इसीलिए SC, ST और OBC समाज के लोगों को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि मुस्लिम नेताओं ने  बाबा साहेब आंबेडकर का अक्सर साथ दिया था ।
जबकि गांधी और तिलक हमेशा ही बाबा साहेब आंबेडकर के रास्ते में मुश्किलें पैदा करते रहे थे ।
अभी भी SC, ST और OBC के आरक्षण के खिलाफ संघी ही आंदोलन चलाते हैं, मुस्लिम नही ।


दोस्तों अब वक्त आ गया मनुवादियों को इनकी ही भाषा में जबाब देने  का
मनुवादियों से टकराओ
हिन्दू मुस्लिम एकता बनाओ
sc/st/obc होश में आओ

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Saturday 19 August 2017

अंधश्रद्धा से परिपूर्ण मानसिक व धार्मिक गुलाम


कुछ दिन पहले एक धार्मिक प्राणी, हमारे पास रात गुज़ारने आया, वह थोड़ा बीमार था..
लेकिन धार्मिक स्कूल में पढ़ा था तो दिमाग़ी तौर पे बहुत बीमार था.
मैं रात को दूसरे लड़कों को जीव विज्ञान के बारे में कुछ बता रहा था,
धार्मिक प्राणी बोला, "ये सब झूठ है, साइंस की बातों के पीछे लगकर ज़िंदगी बर्बाद मत करो, साइंस-वाइंस कुछ नहीं होती "

मैंने उसकी दवा उठाकर अपनी जेब में डाली,  उसका मोबाइल ऑफ़ करके अपनी जेब में डाला.. और रूम की लाइट और पंखा बंद कर दिया.
धार्मिक प्राणी बोला, "ये क्या कर रहे हैं ?"
मैंने कहा, "ये दवाई, मोबाइल, पंखा, बल्ब ये सब साइंस के आविष्कार हैं.. अब अंधेरे में बैठकर मच्छर मार और बोल कि साइंस कुछ नहीं होती "
धार्मिक प्राणी खिसयानी हंसी हंसने लगा.
मैंने लाइट ऑन की और उससे कहा, "साइंस से जुड़ी हर चीज़ का सिर्फ़ दस दिन त्याग करके दिखा दे, उसके बाद बोलना कि साइंस कुछ नहीं होती "
वह प्राणी बिना कुछ बोले चुपचाप सो गया.
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ऐसे धार्मिक प्राणियों की कमी नहीं है, जो साइंस की हर चीज़ इस्तेमाल करते हैं और साइंस के विरुद्ध भी बोलते हैं.
साइंस के जिन अविष्कारों ने हमारे जीवन और दुनिया को बेहतर बनाया है, वे सब अविष्कार उन्होंने किये, जिन्होंने धार्मिक कर्मकांडों में समय बर्बाद नहीं किया.

आज कोई भी धार्मिक प्राणी साइंस से संबंधित चीज़ों के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन ये एहसान फ़रामोश साइंसदानों का एहसान नहीं मानते.. ये उस काल्पनिक शक्ति का एहसान मानते हैं, जिसने मानव के विकास में बाधा डाली है.. जिसने मानवता को टुकड़ों में बांटा है.

साइंसदान, अक्सर नास्तिक होते हैं... लेकिन जाहिल प्राणी कहेंगें," साइंसदानों को अक्ल तो हमारे God ने ही दी है"
लेकिन ऐसे मूर्ख इतना नहीं सोचते कि उनके God ने सारी अक्ल नास्तिकों को क्यों दे दी, धार्मिक प्राणियों को मन्दबुद्धि क्यों बनाया ?

पिछले 150 साल में, जिन अविष्कारों ने दुनिया बदल दी, वे ज़्यादातर नास्तिकों ने किये या उन आस्तिकों ने किये जो पूजा-पाठ, इबादत नहीं करते थे.

अंधविश्वास और कट्टरता से भरे धर्म वालों ने ऐसा कोई अविष्कार नहीं किया, जिससे दुनिया का कुछ भला होता.

इन्होंने अलग किस्म के आविष्कार किये, ऊपरवाला ख़ुश कैसे होता है ? .. ऊपरवाला नाराज़ क्यों होता है ?..स्वर्ग में कैसे जायें ? ..नरक से कैसे बचें ? स्वर्ग में क्या-क्या मिलेगा ?.. नरक में क्या-क्या सज़ा है ?..हलाल क्या है, हराम क्या है ?..बुरे ग्रहों को कैसे टालें ? .. मुरादें कैसे पूरी होती है ?.. पाप कैसे धुलते हैं ?.. ऊपरवाला किस्मत लिखता है.. वो सब देखता है.. वो हमारे पाप-पुण्य का हिसाब लिखता है.. जीवन-मरण उसके हाथ में है.. उसकी मर्ज़ी बगैर पत्ता नहीं हिलता.. ऊपरवाला खाने को देता है.. वो तारीफ़ का भूखा है.. वो पैसे लेकर काम करता है..
पित्तरों की तृप्त कैसे करें ? मंत्रों द्वारा संकट निवारण.. हज़ारों किस्म के शुभ-अशुभ.. हज़ारों किस्म के शगुन-अपशगुन.. धागे-ताबीज़.. भूत-प्रेत.. पुनर्जन्म.. टोने-टोटके.. राहु-केतु.. शनि ग्रह.. ज्योतिष.. वास्तु-शास्त्र...पंचक. मोक्ष.. हस्तरेखा..मस्तक रेखा..मुठकरणी.. वशीकरण.. जन्मकुंडली..काला जादू.. तंत्र-मन्त्र-यंत्र.. झाड़फूंक.. वगैरह.. वगैरह..
इस किस्म के इनके हज़ारों अविष्कार हैं..
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इन्सान को उसके विकसित दिमाग़ ने ही इन्सान बनाया है, नहीं तो वह चिंपैंजी की नस्ल का एक जीव ही है,
जो इन्सान अपना दिमाग़ प्रयोग नहीं करते, वे इन्सान जैसे दिखने वाले जीव होते हैं.. वे इन्सान नहीं होते..

अपने दिमाग़ का बेहतर इस्तेमाल कीजिये..अंदर जो अंधविश्वासों का कचरा भरा है, उसको जला दीजिये.. अंधेरा मिट जायेगा.. आपके अंदर रौशनी हो जायेगी...
पहले खुद जागो फिर दूसरों को जगाओ अन्धविश्वास को दूर भगाओ


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अप्प दीपो भव

बौद्ध दर्शन का एक सूत्र वाक्य है- ‘अप्प दीपो भव’ अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो। तथागत सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के कहने का मतलब यह है कि कि...